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अ॒हम॑स्मि॒ सह॑मा॒नाथ॒ त्वम॑सि सास॒हिः । उ॒भे सह॑स्वती भू॒त्वी स॒पत्नीं॑ मे सहावहै ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

aham asmi sahamānātha tvam asi sāsahiḥ | ubhe sahasvatī bhūtvī sapatnīm me sahāvahai ||

पद पाठ

अ॒हम् । अ॒स्मि॒ । सह॑माना । अथ॑ । त्वम् । अ॒सि॒ । स॒स॒हिः । उ॒भे इति॑ । सह॑स्वती॒ इति॑ । भू॒त्वी । स॒ऽप्त्नी॑म् । मे॒ । स॒हा॒व॒है॒ ॥ १०.१४५.५

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:145» मन्त्र:5 | अष्टक:8» अध्याय:8» वर्ग:3» मन्त्र:5 | मण्डल:10» अनुवाक:11» मन्त्र:5


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अहम्) मैं-उपनिषद्-अध्यात्मविद्या (सहमाना) कामवासना को अभिभूत करनेवाली दबानेवाली (अस्मि) हूँ (अथ) और (त्वं सासहिः) हे सोम ओषधि ! तू अत्यन्त अभिभव करनेवाली (असि) है (उभे सहस्वती) दोनों बलवाली होकर (मे-सपत्नीम्) मेरी विरोधिनी कामवासना को (सहावहै) अभिभूत करें-दबावें ॥५॥
भावार्थभाषाः - अध्यात्मविद्या बहुत बल रखती है कामवासना को दबाने के लिए और सोम ओषधि भी बल रखती है कामवासना को दबाने के लिए, दोनों का सेवन कामवासना से बचाता है ॥५॥
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अहम्-सहमाना-अस्मि) अहमुपनिषदध्यात्मविद्या कामवासना-मभिभवित्री खल्वस्मि (अथ त्वं सासहिः-असि) अथ च हे सोम ! त्वमत्यन्तमभिभविताऽसि (उभे सहस्वती भूत्वी) उभे सहस्वत्यौ बलवत्यौ भूत्वा (मे सपत्नीं सहावहै) मम विरोधिनीं कामवासनामभिभवावहै ॥५॥